- View cart You cannot add that amount to the cart — we have 1 in stock and you already have 1 in your cart.
‘प्रेमाश्रम’ भारत के तेज और गहरे होते हुए राष्ट्रीय संघर्षों की पृष्ठभूमि में लिखा गया उपन्यास है। गांधीजी के सत्याग्रह आन्दोलन की इस कथा पर विशिष्ट छाप है। रौलेट एक्ट, पंजाब में सैनिक कानून और जलियांवाला बाग का दिन इसके कथानक की पृष्ठभूमि में है।इस उपन्यास के नायक प्रेमशंकर नये मनुष्य का जो आदर्श प्रेमचंद की कल्पना में था, उसे मूर्त करते हैं। वह धैर्यवान और सहनशील हैं, किन्तु अन्याय के सम्मुख तिल-भर झुकने में असमर्थ हैं। उनका जन्म एक जमींदार कुल में हुआ था किन्तु किसान से उन्हें गहरी सहानुभूति है। इस उपन्यास में प्रेमचंद व्यापक स्तर पर किसान के उत्पीड़न का चित्र अंकित करते हैं। अनगिनत शोषक और ज्ञानशंकर और आततायी किसान को चूसकर सुखा देने के लिए जुट गए हैं। ज्ञानशंकर मानो अन्याय का मूर्तिमान रूप है, किन्तु प्रेमशंकर अपनी गहरी मानवीयता और सदगुणों के कारण असत्य और अधर्म पर पूरी तरह विजयी होते हैं। उसकी अपनी पीड़ा शत्रुओं को मित्र बनाती है। वह प्रेमाश्रम की नींव डालते हैं, जहां मनुष्य भूमि की सेवा करते हुए समुचित फल पा सकता है।
| Weight | 452 g |
|---|
